Saturday, April 25, 2009

पहले दो चरणों के मतदान से निराशा

दोस्तों, इस लोकसभा के आम निर्वाचन में अधिक संख्या में मतदान के लिए अनेक स्वयं सेवी संस्थाओं ने और इलेक्ट्रानिक मीडिया तथा समाचार पत्रों ने जिस प्रकार जन जागरण का अभियान चलाया उससे यह एक आम तौर पर अनुमान लगाया जा रहा था कि इस चुनाव में अबतक के चुनावों से अधिक संख्या में मतदान होगा किंतु परिणाम निराशाजनक सामने आया। दक्षिण ,पूर्वी और पश्चिमी राज्यों की तुलना में उत्तर प्रदेश ,बिहार और मध्य प्रदेश जैसे राज्यों में मतदान अपेक्षा से कम हुए, यह एक बहुत गंभीर विचारणीय बात है ।इसके कारणों पर विचार किया जन अपेक्षित है और यह विचार उच्च स्तर पर भी किए जाने का विषय है ,यहाँ यह उल्लेख किया जन उचित है कि इन तीन राज्यों से बहुत अधिक लोकसभा के सदस्य निर्वाचित हो कर आते हैं। अबतक प्राप्त तथ्यों से यह पता चलता है कि विगत कई वर्षों से इन राज्यों में अत्यधिक तापमान बढ़ जाने और गावों में किसानों द्वारा फसल की कटाई का काम चलने के कारण किसानों और निम्न और मध्य वर्ग का मतदाता मताधिकार का प्रयोग करने मतदान स्थल तक आने में असमर्थ था ,दूसरा कारण आम नागरिक का शासन व्यवस्था और राजनितिक प्रक्रिया में अविश्वास का होना जाहिर होता है । चुनाव में राजनितिक दलों द्वारा उचित ढंग से वास्तविक मुद्दे न उठाये जाने और मीडिया व् शासन के उच्चतम शिखर द्वारा बार -बार तथ्यों से आम जनता को गुमराह करने का प्रयास किया जन भी महत्वपूर्ण कारण है,उदहारण के तौर पर देश में बढती महगाई के सम्बन्ध में प्रधान मंत्री ने अंतर्राष्ट्रीय मंदी अथवा विश्वव्यापी मंदी को कारण बताया और देश पर विश्वव्यापी मंदी का कम होने को अपने सरकार की उपलब्धियां बताते हुए अपने इसका श्रेय लेलिया गया ,जबकि वास्तविकता यह है की देश में आम तौर पर यह धारणा लोगों की है की जितनी चादर हो उतनी पैर फैलाना चाहिए,के आधार पर देश मंदी के भीषण दुस्प्रभावों से बचने में आंशिक रूप से सफल रहा,यदि पाश्चत्य आर्थिक व्यवस्था के अंतर्गत जहाँ हर व्यक्ति बैंकों के क्रेडिट कार्ड पर निर्भर करता है तथा बैंकों के मंदी की मार की चक्की में दब जाने के कारण आत्म हत्या तक करने को मजबूर होजाता है,इस देश में इस प्रकार की व्यवस्था से बच निकलने का आधार सिर्फ़ और सिर्फ़ पुरानी सोच का होना कारण है । जिस पर सरकार ने अपनी पीठ ख़ुद थापथपाली। iसी तरह राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दे पर भी सरकार ने आम जनता को गुमराह करने और कंधार के मामले पर नई बहस कर अपनी कमी छुपाने का काम किया।
खैर उपर्युक्त कारणों का सही तरह से मूल्यांकन होना चाहिए किंतु सबसे अधिक मतदान कमी में यावा वर्ग का योगदान उचित नही हुआ जिससे ज्यादा तकलीफ हुई,चलिए अभी पूरा चुनाव आगे तीन चरणों का शेष है शायद कुछ अच्छे परिणाम आए ,इस नोट के साथ आज का पोस्ट समाप्त कर रहा हूँ।

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