Wednesday, June 17, 2015

उत्तर प्रदेश में जंगल राज

    उत्तर प्रदेश में कानून व्यवस्था की स्थिति का अनुमान लगाया जा सकता की प्रदेश के एक मंत्री के विरुद्ध लिखने के लिये एक स्वतंत्र पत्रकार को शाहजहांपुर जिले की पुलिस ने जिन्दा जलाकर मार डाला गया।यह स्थिति अत्यंत सोचनीय है।इसका तातपर्य यह है की जो सरकार के विरुद्ध लिखने की कोशिश करे उसे जीने का हक नहीं है।क्या लोकतंत्र में अब सरकार के विरोध में बोलने और लिखने की स्वतंत्रता का मौलिक अधिकार प्रदेश सरकार ने समाप्त कर दिया है।

एन0 डी0 टीवी का राष्ट्र विरोधी दृष्टिकोण

    NDTV के प्राइम टाइम पर आज की चर्चा म्यांमार की सीमा पर भारतीय सेना की कार्यवाही विषय था।जिसमे टीवी चैनल के एंकर क्रांति सम्भव थे।चर्चा में NDTV के सीनियर एडिटर प्रियदर्शन,बीजेपी के सम्बित पात्रा,कांग्रेस के अजय कुमार और रि0मेजर जनरल जी0डी0बक्शी सेना विशेषज्ञ के तौर पर थे।चर्चा प्रारम्भ करते हुए क्रांति सम्भव के अनुसार इस कार्यवाही में ऐसा क्या था जिसके लिये सरकार अपनी पीठ थपथपा रही है।उसके इस कथन से स्पष्ट है भारतीय इलेक्ट्रानिक मीडिया में कई लोगों को यह घटना स्वीकार नहीं है।...चर्चा में कांग्रेस के अजय कुमार को भी भारत सरकार नेतृत्व की सराहना स्वीकार नही।सम्बित पात्रा बहुत शांत तथ्यों की जानकारी दे रहे थे।जनरल बक्शी ने अलबत्ता यह बताया की जो आपरेशन भारतीय सेना ने इस बार किया है वो अभूतपूर्व है जिसमे सेना के आर्मी और एयर फ़ोर्स तथा इंटैलिजेंस का संयुक्त अभियान था जैसा पहले कभी नही हुआ।
    यहां इस चर्चा के उल्लेख करने का तातपर्य यह है की देश की कमिटेड मिडिया और अनेक विपक्षी दलों को देश के गौरव की घटना भी पसन्द नहीं है।सचमुच ये प्रेस्टिटूट की भाति कार्य करती है।
    कृपया विचार करें की क्या इस कार्यवाही को करना राष्ट्र के गौरव को बढ़ाता है?क्या विपक्षी दल को राष्ट्र हित के प्रश्न पर भी अलग राय देना जरूरी है?

कांग्रेस अपने गिरेबाह में पहले देखे


आज कल ईडी के आरोपी ललित मोदी को मदद देने के तथाकथित मामले को लेकर सुषमा स्वराज को कांग्रेस घेरने का प्रयास कर रही है।उल्लेखनीय है की सुषमा जी अपनी पारदर्शी कार्यप्रणाली के लिये जानी जाती रहीं हैं।उन्होंने मानवीय समवेदना के आधार पर मदद किया।ललित को प्रवर्तन निदेशालय फेमा उल्लंघन मामले में तलाश कर रहा था।यह भी ठीक है कि देश के विधान और नियमों के अंतर्गत सहयोग करना आपराधिक श्रेणी में आता है।किन्तु यहां यह बताना अनिवार्य है कि ललित अभी सिर्फ आरोपी हैं उन्हें केवल प्रवर्तन निदेशालय द्वारा नोटिस जारी है जिसके आधार पर उसे आरोपी भी नहीं कहा जा सकता है।किन्तु आप सब को ज्ञात होगा की 1985 में राजीव गांधी ने यूनियन कार्बाइड के एंडरसन जो भोपाल गैस कांड के आरोपी थे,जिनका हाथ हज़ारों बेगुनाहों के खून से रंगा था,को भागने में पूरा सहयोग किया था बाद में कांग्रेस के शासन में बोफोर्स केस के गुनहगार क्वात्रोची को भगाया गया तब कोई प्रधान मंत्री और मंत्री दोषी नही हुआ तो अब सुषमा जी को जिन्होंने मानवीय आधार पर यदि मदद कर दिया तब बतंगड़ बनाना उचित नहीं।किसी घटना पर आलोचना के पहले काग्रेस पार्टी को अपने गिरेबां को देख लेना चाहिए।

Monday, June 8, 2015

बिहार में फिर घृणित गठबंधन



बिहार देश का अत्यंत महत्वपूर्ण राज्य है जो आज़ादी के बाद से देश की गति के साथ कदम मिलाकर नहीं चल रहा था किन्तु दस वर्ष पूर्व भा0ज0पा0 और जदयू के गठबंधन में बनी सरकार ने रा0ज0द0 और उसके पूर्व कांग्रेस पार्टी के अंध भ्र्ष्टाचार से बिहार को मुक्ति दिलाया जो अभी दो वर्ष पूर्व तक चलता रहा किन्तु जदयू के नेतृत्व को यकायक बीजेपी का नेतृत्व नरेंद्र मोदी को मिलने से ऐतराज होने के आधार बिहार की जनता के लिये किये जा रहे गुड वर्क को समाप्त करने का उनका निर्णय प्रदेश की जनता से किया जाने वाला बहुत बड़ा धोखा था।जिसके बाद जदयू ने उन्ही राजनितिक दलों जिनके विरुद्ध उन्होंने चुनाव लड़कर बहुमत प्राप्त किया था उन्हीं का समर्थन लेकर अपनी सरकार बचाया गया।जो एक घोर अपवित्र गठबंधन है।इन अंतिम दो वर्षों में बिहार को वर्तमान सरकार ने अराजकता,भ्र्ष्टाचार के दलदल में लाकर पुनः खड़ा कर दिया।जो नितीश कुमार लालू यादव और उनके परिवार के भ्र्ष्टाचार के बारे में कहते नही थकते नहीं थे वो आज उन्ही की तारीफ में कशीदे पढ़ रहे हैं।
आज देश एक सार्थक बदलाव और सुशासन की दिशा में कदम बढ़ा रहा है उसमे बिहार की जनता पर एक बड़ी भारी जिम्मेदारी है की वो इन वोट के लुटरों और सत्ता के भूखी पार्टियों के भ्रामक छलावे में न आये और देश के विकास और सुशासन के लिये उचित निर्णय ले।

आखिर इलेक्ट्रॉनिक मीडिया को प्रधान मंत्री के मुस्लिम उलेमाओं से मिलने पर आपत्ति क्या

पी एम् नरेंद्र मोदी द्वारा विगत दिन देश में साम्प्रदायिक सौहार्द बनाने के लिये मुसलमान उलेमाओं से मिलने को आमन्त्रित किया जिसमे बड़ी संख्या में मस्जिदों के इमाम और अन्य धर्म गुरु उनसे मिले।इस घटना से सभी टीवी चैनल ndtv,आजतक और ए बी पी न्यूज़ के दिलों में अचानक दर्द उठने लगा की कहीं नरेंद्र मोदी के पक्ष में मुसलमान न होजाये।इसलिये तुरत ही इन चैनलों पर गोष्ठी प्रारम्भ हो गया की कैसे मोदी जी की इस मुहीम की हवा निकाल दी जाय।उनकी इस मुहीम में उनके साथ एक इतिहासकार इरफ़ान हबीब जैसे वामपंथी,ओवैसी और मुलायम वादी इस्लामी नेताओं ने मोदी जी की नियत पर शक कर देश के मुसलमानो को गुमराह करने का प्रयास करना शुरू कर दिया।इन गोष्ठियों में इन चैनलों के एंकर का योगदान भी मुलायमवादी और वामपंथी तथा ओवैसी को भरपूर दिया जा रहा था।वार्ता में ओवैसी और चैनल पर आमन्त्रित वक्ताओं ने उलेमाओं को मुसलमान सम्पर्दाय का प्रतिनिधि न होने की बात कहा जो सर्वथा अनुचित है।सल्तनत काल और मुग़ल साम्राज्य के शासन काल में सुल्तानों और बादशाहों ने उलेमाओं को ही इस्लाम का प्रतिनधि माना और उनकी सलाह पर ही निर्णय लिये जाते रहे।कुछ सुल्तानों के शासन को इतिहासकारों ने उलेमाओं का शासन कहा गया।किन्तु अब ये वार्ताकार और चैनल के एंकर इसके विपरीत उन्हें मुस्लिम समुदाय का प्रतिनिधि मानने के तैयार नहीं हैं।
ऐसी हालत में देश के सामान्य अल्पसंख्यक मुसलमानों को इन चैनलों और राष्ट्र द्रोही नेताओं से सावधान रहने की जरूरत है।

Saturday, June 6, 2015

इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के कमिटेड ऐंकर

इस समय इलेक्ट्रानिक मीडिया जिनमे ए0बी0पी0 न्यूज़,एन0डी0टीवी,आजतकऔर न्यूज़ 24 ऐसे प्रमुख न्यूज़ चैनल हैं जिनके न्यूज़ एडिटर्स ऐसे लोगों को रखा गया है जो सभी दिल्ली के प्रमुख विश्व विद्यालय में अध्ययन किये हुए हैं जो भारत में वामपंथी विचार धारा का प्रसार करने के लिये प्रसिद्ध है।इन ऐंकर्स में ए0बी0पी0 न्यूज़ के विजय विद्रोही,अभिसार शर्मा एन0डी0टीवी के अभिज्ञान प्रकाश,रवीश कुमार,निधि कुलपतिऔर बरखा दत्त तथा आजतक के राजदीप सरदेसाई,पुण्य प्रसून वाजपेयी,अंजना ओम कश्यपऔर अशोक सिंघल आदि और न्यूज़ 24 जिसकी स्वमिनि अनुराधा प्रसाद जो राजीव शुक्ल,कांग्रेस पार्टी के राज्यसभा सदस्य की पत्नी हैं। इन सभी चैनलों के उपर्युक्त ऐंकरों के द्वारा प्रस्तुत कार्यक्रमों में इनके द्वारा हमेशा देश हित से इतर इनकी अपनी विचारधारा के अनुरूप तथ्य थोपा जाता है।इनके द्वारा स्वयम को लोकतान्त्रिक प्रदर्शित करने का प्रयास किया जाता है किन्तु यथार्थ इसके विपरीत होता है।इनके लिये आम जन भावना कोई स्थान नहीं रखता।ये लोग विगत दस वर्षों से सत्ताधारी दल के प्रचारक के तौर पर देश की जनता को भर्मित करते रहें हैं।इनका और पूर्व सत्ताधारी दल से लाभ का भी रिश्ता रहा है।यदि इस तथ्य की वास्तविक स्थिति जानने के लिये इनकी टीवी चैनल पर कार्य किये जाने के पूर्व आर्थिक स्थिति और आज की स्थिति का आकलन करने पर ज्ञात होगा कि ये सभी काफी धनाढ्य हो चुके हैं।आज के सत्ताधारी दल को नीचा दिखाने का भरपूर प्रयास किया जाता है।इनका जोर चला होता तो बीजेपी देश की सत्ता में न आ पाई होती।किन्तु अब देश की जनता को इनकी सच्चाई का ज्ञान हो चूका है।साथ ही साँच को आंच नहीं होती इसीलिये बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और मानव सन्साधन मंत्री द्वारा इनको सार्वजनिक रूप से बेनकाब कर दिया।
ये मीडिया देश में विष वमन का कार्य कर रहा है जिससे जनता को सतर्क रहने की आवश्यकता है।

Monday, June 1, 2015

टी0वी0 चैनलों का भ्रामक प्रचार

आज टीवी चैनलों एक समाचार चल रहा है कि मुम्बई में एक मुस्लिम महिला को सांघवी हाइट्स के सुपरवाइजर द्वारा मकान किराये पर देने से मना करने का आरोप लगाते दिखाया जा रहा है।साथ ही इस समाचार पर प्रदेश और केंद्र सरकार के विरुद्ध राजनीति भी शुरू हो गया है।इसके पहले एक मुस्लिम युवक द्वारा किसी कम्पनी पर मुस्लिम होने के कारण नौकरी पर न रखने का आरोप लगाया था। ये दोनों
मसला एक गम्भीर मामला है।जो सम्विधान के समानता के अधिकार के विरुद्ध है।किन्तु यदि इस विषय पर गम्भीरता से विचार करे तो हम पाएंगे की जब सम्विधान के अंतर्गत समान नागरिक संहिता नही है तब किस तरह से किसी अन्य संप्रदाय के व्यक्ति को उसकी व्यक्तिगत कम्पनी अथवा प्रॉपर्टी के लिये सेवा में रखने अथवा किराये पर रखने के अधिकार को कैसे चुनौती दिया जा सकता है।इस के समर्थन में मैं एक उदाहरण मेसर्स हमदर्द इंडिया का देना चाहूँगा जो एक मुस्लिम ट्रस्ट द्वारा संचालित कम्पनी है जो दिल्ली में स्थित है तथा इसकी एक शाखा पाकिस्तान में भी है।इस कम्पनी में केवल मुस्लिम कर्मचारी एवं अधिकारी काम करते हैं जो संयोग वश नहीं अपितु अनिवार्य रूप से है।इसी तरह अलीगढ मुस्लिम यूनिवर्सिटी का वी0सी0 केवल मुस्लिम हो सकता है।इसी तरह देश भर में बहुत से ऐसी शिक्षण संस्थाएं है जिनको सरकार द्वारा अल्पसंख्यक घोषित किया गया है जिसमे प्रवेश का आधार योग्यता न होकर अल्प सन्ख्यक समुदाय का होना काफी होता है।ये सारी संस्थाएं सम्विधान के अंतर्गत हैं।
उपर्युक्त परिस्थितियों में मुम्बई की घटना पर कैसे रोक लगाई जाय यह विचारणीय होगा।हाँ इस सन्दर्भ में छः सात वर्ष पूर्व सिने अभिनेता इमरान हाश्मी का बयान स्मरण है जिन्होंने मुम्बई के बिल्र्डर्स पर उन्हें अल्पसंख्यक समुदाय का होने के कारण भवन बेचने से मना करने का आरोप लगाया था।इससे स्पष्ट है कि इस प्रकार की घटना कांग्रेस शासित महाराष्ट्र राज्य में भी था तब क्यों उस बिल्डर पर कार्यवाही नही किया गया।तब शहज़ाद पूनावाला कहाँ थे।
इसी तरह आज़ादी के बाद से अबतक कांग्रेस की सरकार थी तब समान नागरिक संघिता क्यों लागू नही किया गया।क्या यह एकांगी चिंतन नही है?ये तो वही बात हुई मैं करू तो....कैरेक्टर .....।

कांग्रेस कब तक झूठ बोलेगी

आजकल कांग्रेस पार्टी के बड़े छोटे नेताओं ने झूठ बोलने की आपसी प्रतिस्पर्धा शुरू कर दिया है।इस प्रतिस्पर्धा में शालीनता और मूल्यों को तिलांजलि दे दिया है।आश्चर्य तो इस बात का है की जिस पार्टी ने आज़ादी के पहले से सत्ता सुख का आनन्द ले रही थी।जिसकी तीन पीढियां 55 वर्ष तक सत्ता का भोग करती रही।किन्तु एक वर्ष पूर्व हुए आम निर्वाचन में 50 का आंकड़ा भी न पार करने का इतना बड़ा सदमा लगा है की सबने मानसिक सन्तुलन पूरी तरह खो दिया है।यह सन्तुलन इतना बिगड़ गया है की सत्य के बारे में भी अनर्गल प्रलाप किया जा रहा है।1947 से 2014 तक जितनी किसानों की जमीन की लूट इन्ही कांग्रेसियों ने किया।धीरूभाई अम्बानी की हैसियत इन्ही के कार्यकाल में बढ़ी।मोदी जी के भूमि अधिग्रहण बिल में पहली बार भूमि अधिग्रहण केवल और सिर्फ केंद्र एवं राज्य सरकारों की विकास परियोजना के क्रियान्वयन के लिये किया जाने की व्यवस्था है परन्तु इनकी पार्टी के अभूतपूर्व ज्ञानी नेता को बार बार यह स्वप्न दिखाई देता है जैसे इनके दस वर्षों के शासन में हरियाणा,राजस्थान और हिमाचल में इनके बहनोई को कौड़ियों के मोल जमीन आंवटित कर दिया गया उसी तरह इन्हें दुः स्वप्न आता रहता है।
मई 2014 के बाद इनकी जबान पर ताले लग गए थे।किन्तु 56 दिनों के विदेश प्रवास में में इन्होंने कुछ ऐसा ज्ञान प्राप्त किया कि ये तो बदजबां हो गए।बद्तमीज तो यर पहले से ही थे जो अपनी ही सरकार के एक विधेयक की प्रति लोक सभा में फाड़ चुके हैं।तमीज़ की उम्मीद तो इनसे कतई नहीं की जा सकती किन्तु कम से कम झूठ बोलने से तो तौबा करें।