Wednesday, July 7, 2010
पेट्रोल और डीजल की केंद्र सरकार द्वारा बढाई गयी कीमतों का औचित्य समझ के बाहर
Wednesday, June 30, 2010
नक्सली समस्या पर गंभीरता से कार्यवाही अनिवार्य
Sunday, May 30, 2010
जन गणना जाति के आधार पर राष्ट्रीय एकता के विपरीत है
Tuesday, May 4, 2010
टी-२० विश्व कप में विचित्र डकवर्थ लुईस नियम के कारण परिणाम से असहजता
कांग्रेस पार्टी के साथ समाजवादी पार्टी एवं बहुजन समाज पार्टी तथा राजद की साठगांठ
Monday, March 15, 2010
भारत की जीवन दायिनी गंगा को बचाना देश की पहली प्राथमिकता
Friday, March 5, 2010
हांकी की प्रगति के लिए और अधिक प्रयास की जर्रूरत
महिला आरक्षण स्वागत योग्य कदम
Wednesday, March 3, 2010
मंहगाई पर नियंत्रण के विपरीत केन्द्रीय बजट से और बढ़ने की सम्भावना
फरवरी की २६ तारिख को जब केन्द्रीय बजट पेश करने वित्त मंत्री श्री प्रणब मुख़र्जी लोक सभा में आये उस समय देश के सभी आम नागरिक ,उद्योपति,अर्थशाष्त्री पेशो पेश में थे कि माननीय वित्त मंत्री महोदय आगामी वर्ष के बजट में क्या-क्या सौगात देने आये है परंतु आशा के विपरीत बजट के प्राविधान से देश पर आगामी वर्ष के आरम्भ से ही मंहगाई बढ़ाने की प्रक्रिया शुरू हो गयी।पेट्रोल,डीजल पर एक्साइज ड्यूटी में वृद्धि से पेट्रोल और डीजल के मूल्य में बजट की मध्य रात्रि से ही मूल्य वृद्धि होगई । अगले दिन यु० पी० ए० के सहभागी दल तरीन मूल कांग्रेस की अध्यक्ष सुश्री ममता बनर्जी ने कोल्कता में ऐसा माहौल बनाया कि वे केंद्र सर्कार को बढे मूल्ल्य रोकने की पहल करेंगी परंतु वापस दिल्ली पहुचने पर उनके तेवर भी ठंढे पड़ गए और बाद में प्रधान मंत्री और यु० पी० ए० की चेयर पर्सन श्री मति सोनिया गाँधी ने भी पेट्रोल और डीजल पर बढ़ाये गए दरों में कोई कमी नहीं करने की बात कर दिया है। इससे पूरे देश में एक बार फिर महगाई वृद्धि का नया क्रम शुरू हो जायेगा। जो शासक दल के पक्ष के विपरीत जा रहा है। ऐसा प्रतीत होता है कि सत्ता में बैठे लोगों ने आम आदमी और इस देश की कृषि अर्थ व्यवस्था को नष्ट करने का बीड़ा उठा लिया है। परंतु सबसे महत्त्व पूर्ण तथ्य यह है कि इन अप्रजातांत्रिक निर्णयों के बाद भी देश की जनता की कानों पर जूनnअहिं रेंग रही है और विपक्षी दलों ने प्रारंभिक एकता प्रदर्शन जिसके तहत उनके द्वारा बजट भाषण का सामूहिक सदन से बहिष्कार के अतिरिक्त अन्य कोई परिणाम सामने नहीं आया ,इसे विडंबना के अतिरिक्त और कुछ नहीं कहा जा सकता है,देश में शासक और शासित का यह आचरण देश के लोगों के ईश्वर में घोर आस्थावान होने को प्रदर्शित कर रहा है।देखें कब तक इस तरह की स्थिति बनी रहती है।
Tuesday, March 2, 2010
विलम्ब के लिए क्षमा याचना
कृपया प्रतीक्षा करें।