Friday, April 29, 2011

काला धन : एक सामानांतर अर्थ व्यवस्था

आज़ादी के बाद से ही इस देश की जड़ों को भ्रष्टाचार खोखला कर रहा है .भ्रष्टाचार के कई रूपों में से सबसे ज्यादा भयानक  काला धन (Black Money ) है.यह हमारे देश की अर्थ व्यवस्था के समक्ष चुनौती के रूप में है.वैसे तो देश में देश वासियों द्वारा विदेशी बैंकों में जमा धन की चर्चा कई दशकों से होती रही है परन्तु विगत एक वर्ष से चर्चा ने गंभीर होती गयी.भारतीय जन मानस के दबाव तथा सूचना प्रद्योगिकी में हुए परिवर्तनों के फलस्वरूप Global Village की अवधारणा के चलते हमें देश के बाहर की गतिविधियों की सम्यक जानकारी हो गयी है.जिसके परिणाम स्वरुप एक अंतर्राष्ट्रीय संस्था "ग्लोबल फैनेशिअल इंटीग्रिटी "के अनुसार भारतीय नागरिकों के लगभग 20 लाख 85 हज़ार करोड़ रुपये विभिन्न विदेशी बैंकों में जमा हैं.काले धन के कारण ही देश में सामानांतर अर्थ व्यवस्था चल रही .इस काले धन पर देश में कोई कर (Tax) प्राप्त नहीं होता है जिसके कारण सरकारों को को प्रकारांतर से अप्रत्यक्ष करों में बढ़ोत्तरी करना पड़ता है जिसके प्रभाव से देश का आम नागरिक बढती महगाई के बोझ तले  दबता जारहा है .
                        विदेशी बैंकों में धन जमा करने वालों में मुख्य रूप से बड़े राज नेता,उद्योगपति और वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी शामिल  हैं.विदेशी बैंकों में कितना भारतीयों का काला धन इस बात की अधिकारिक जानकारी  स्विस कानूनों की बगैर परवाह किये स्वित्ज़रलैंड के बैंकों में खुले खातों की जानकारी से सम्बंधित सीडी वीकीलिक्स के संस्थापक जुलियन असान्जे को दिया . इस सीडी के अनुसार बैंकों में एशिया, ,इंग्लैंड , और अमेरिका  के नेताओं,उद्योगपतियों के हैं.यहाँ यह बता देना उचित होगा की पीछे लोकसभा चुनाव में विदेशों में जमा कला धन के मुद्दे को एक राजनीतिक दल द्वारा उठाया गया था,तब प्रधान मंत्री द्वारा भी इसका समर्थन किया गया था.साथ ही  प्रचार के दौरान उनके द्वारा देश की जनता से यह वादा भी किया गया था की सत्ता में वापस आने के १०० दिनों उनकी सर्कार द्वारा ठोस कार्यवाही की जाएगी . लेकिन यह देश का दुर्भाग्य है की अब स्वयं प्रधन मंत्री श्री मन मोहन सिंह चुनाव में किये वायदों से भाग रहे हैं.आपको ज्ञात होगा किप्रधान मंत्री डा० मन मोहन सिंह ने पूर्व में जुलाई २००९ राज्य सभा में वित्त विधेयक पर चर्चा के दरमियान बयां दिया कि सरकार विदेशी बैंकों में जमा काले धन की वापसी के लिए कदम उठा चुकी है जो सरकार की अनिच्छा स्पष्ट हो रही है,जो यूपीए सरकार की जनता से किये वादे के विरुद्ध कार्यवाही है.
                   उल्लेखनीय है कि माननीय सर्वोच्च न्यायलय द्वार देश के विधि विज्ञ एवं वरिष्ठ अधिवक्ता श्री राम जेठमलानी के द्वारा दायर विदेशी बैंकों में जमा काले धन पर सुनवाई के दौरान काले धन पर चिंता व्यक्त करने के साथ ही यह टिप्पणी किया था कि विदेशों में जमा काला धन केवल टैक्स चोरी न होकर एक गंभीर अपराध देश की लूट का मामला है.
                         मैं यहाँ पाठकों को यह बटन उचित समझता हूँ कि काले धन का उपयोग आतंकवाद को बढ़ावा देने में भी किया जा रहा है.किन्तु अफ़सोस यह है कि प्रधान मंत्री ने काले धन को देश में लेन कोई प्रयास करने और अब तक प्राप्त जानकारी सार्वजनिक करने में भी असमर्थता व्यक्त किया है.