Saturday, October 3, 2009

चीन से भारत को सतर्क रहना जरूरी है

विगत कई महीनों से चीनी सरकार का रवैया भारत के प्रति ज्यादा विद्वेष पूर्ण हो गया है,चीनी नेतृत्त्व कई तरह से अपने मनसूबे अपनी व्यव्हार से दिखा चुका है पहले उसने अरुणांचल के तवांग सहित लगभग पूरे अरुणांचल प्रदेश को अपना मानते हुए चीन के नक्शे में प्रर्दशित करता रहा है उसके सम्बन्ध में भारत और चीन की सरकारों के बीच सीमा विवाद के विषय में अनेकों बैठकें हो गयी किंतु चीन की सरकार अपने विस्तारवादी नीति से हटने को तैयार नही है ,प्रकारांतर से चीनी सरकार का भारत विरोधी रवैया बरकरार है ,अब तो भारत स्थित चीनी दूतावास ने तो हद ही पर कर दी जब दूतावास ने बिना भारतीय पासपोर्ट के कश्मीरी नागरिकों को सादे कागज़ पर वीसा जारी करना शुरू कर दिया है ,जिसका स्पष्ट अर्थ यह है की चीन की सरकार कश्मीर को भारत का भाग नहीं मानता है यह एक तरह से भारत के आन्तरिक मामलों में एक प्रकार से हस्तक्षेप है,वर्तमान चीनी नेतृत्त्व के पहले के नेताओं ने भी भारत के विपरीत पाकिस्तान का अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर खुला समर्थन देता रहा है । चीन और भारत के मध्य सबसे पहले जनता सरकार के दौरान श्री अटल बिहारी वाजपेयी के विदेश मंत्री की अवधि सीमा और अन्यसहयोग करने का प्रयास प्रारम्भ हुआ आगे चलकर श्री राजीव गाँधी की चीन यात्रा से कुछ संबंधों में नरमी आयी परन्तु यह एक सच्चाई है चीन भारत के साथ कुछ व्यापारिक समझौते हुए जिसका ज्यादा लाभ चीनी सरकार को अधिक था इस समझौते के परिणामस्वरूप चीनी घटिया उत्पाद भारत आने लगा जिसका दुष्प्रभाव भारतीय लघु उद्योगों पर पड़ा,जिसके कारण भारत सरकार को बहुत से माल के आयात पर रोक लगना पड़ा।
यहाँ यह तथ्य बताना अनिवार्य है की चीन और भारत दोनों ही एशिया महाद्वीप की दो बड़ी आर्थिक ताकतें है किंतु चीन और भारत के मध्य समानता से अधिक असमानता ज्यादा है ,चीन एक साम्यवादी देश है जहाँ कम्युनिस्ट पार्टी का शासन है aur भारत एक प्रजातान्त्रिक देश है ,चीन ने भारत की तुलना में अधिक सामरिक शक्तिशाली देश है ,उनके पास परमाणु शक्ति भी भारत से बहुत अधिक है ,जहाँ तक मिसाइल तकनीक का प्रश्न है चीन ke पास भारत तक मार करने की क्षमता है,जिसका जिसका प्रदर्शन उसने अपने राष्ट्रीय दिवस की परेड में दिखाया जिसके हिसाब से भारत थल सेना.वायु सेना और नेवी तीनों में भारत की तुलना में बहुत अधिक शक्ति शाली है ,वह कभी भी भारत पर आक्रमण कर सकता है। भारत सरकार और सेना प्रमुख का इस समस्या पर गंभीरता नही दिखाया गया है जो अत्यन्त चिंता जनक बात है।
मैं इस पोस्ट के मध्यम से भारतीय नेतृत्त्व और सरकार का ध्यान इस समस्या पर आकृष्ट करना चाहता हूँ।