Monday, April 6, 2009

भारत के निर्वाचन नियमावली में आमूल संशोधन अपेक्षित

वैसे तो परिवर्तन प्रकृति का नियम है फिर जब देश के संविधान की बात हो तब परिवर्तन का तात्पर्य बहुत गंभीर हो जाता है । आपको ज्ञात है की हमारे संविधान में १९५० से अब तक बहुत अधिक परिवर्तन /संशोधन हो चुके हैं, जिसके कारण वर्तमान संविधान अपना मौलिक स्वरूप खो चुका है ,वास्तव में तो देश की बदली दशा में एक नए संविधान की आवश्यकता है ,जिसके लिए पुन: संविधान सभा के गठन कर नए संविधान की आवश्यकता है किंतु यह बात कभी और की जायेगी । संविधान संशोधन की तरह समय - समय पर चुनाव कानूनों में भी संशोधन होते रहे हैं, किंतु आज समय की मांग के अनुरूप हमारे देश के चुनाव सम्बन्धी नियम संशोधित नही किए जा सके। जिसका कारण १९८९ के बाद किसी भी एक दल को संसद के दोनों सदन में अपेक्षित संख्या बल न होने के कारण संशोधन नही किया जा सका , यह पहला करण था किंतु दूसरा और ज्यादा महत्त्वपूर्ण करण राजनितिक दलों में सही संशोधन की इच्छा शक्ति कि कमी और आपसी सहमति का न बन पाना था । जिसकी वजह से आजतक चुनाव लड़ने से माफिया- गुंडों और असामाजिक तत्वों पर चुनाव आयोग को रोक लगाने का अधिकार नही प्राप्त हो सका । आज एक समाचार पत्र में मैंने पढ़ा कि आस्ट्रेलिया में नागरिक के मतदान में भाग न लेने पर अर्थदंड और एक वर्ष के लिए उसके मताधिकार को निरस्त कर दिया जाने का नियम है , भारत में भी इसी तरह का परिवर्तन / संशोधन करना आवश्यक है ,अन्यथा देश का बहुसंख्यक मतदाता चुनाव में भाग लेने से परहेज़ करता रहेगा और थोड़े वोट पाकर अपराधी चुनाव जीत कर संसद और विधान सभा में पदासीन होते रहेंगे । अब पानी सर के ऊपर हो चुका है जिसका स्वरूप हमारे सामने है ,पिछली लोक सभा में बहुत बड़ी संख्या में दागी संसद सदस्य थे जो प्राय: सभी दलों के थे. इनमे राष्ट्रीय पार्टियाँ भी सम्मिलित हैं किंतु विशेष कर क्षेत्रीय दलों ने कुछ अधिक कुख्यात अपराधियों को प्रत्याशी बना कर खड़ा किया था,जिनके दागी संसाद सदन में थे । इस चुनाव में भी बड़ी संख्या में दागी प्रत्याशियों को लगभग सभी दलों ने टिकट दिया है , जिनका नाम लेना यहाँ उचित नही है ।अब यह जनता का दायित्व है की देश और समाज हित में सभी दागी प्रत्याशियों को दलगत सोच से ऊपर उठ कर पराजित करना है और इसी तरह हमेशा ऐसे दागियों को तब तक चुनावों में पराजित करते रहना होगा जब तक कि इनके हौसले पस्त न हो जाए ,और दागी उम्मीदवार दोबारा फिर चुनाव लड़ने की हिम्मत न जुटा सके।

लोकतंत्र में नागरिको को वोट करने का अधिकार प्राप्त है, जिसका प्रयोग परिवर्तन के लिए आपको एकजुट होकर जातिवाद,संकीर्णता,धार्मिक भावना से हटकर मताधिकार का प्रयोग करना है ,इस हेतु आइये हम सब संकल्प ले कि किसी भी दशा में हम अपने मताधिकार का प्रयोग कर नए समाज के गठन में और देश की संवृद्धि में अपना योगदान करेंगे ।
जयहिंद - जय भारत

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