Tuesday, April 7, 2009

चुनाव के दौरान नेताओं की बेलौस बयानबाजी

लोकतंत्र में जनता के पास नेताओं को कम से कम चुनाव के लिए जाना पड़ता है , नेता अपने चुनाव क्षेत्र में प्रचार के लिए जाते हैं उसका उद्देश्य अपने पिछले किए कामों से क्षेत्र की जनता को अवगत कराने के अलावा जनता का विश्वास बना रहे इसके लिए अपने भविष्य में किए जाने वाले कामों का उल्लेख करते हैं ,साथ ही अपने विपक्षियों की आलोचना करते हैं किंतु विगत कुछ समय से नेताओं के वाणी पर संयम का अभाव देखने को मिल रहा है,जो लोकतंत्र के लिए शुभ लक्षण नही है । आलोचना का लोकतंत्र में स्थान प्राप्त है परन्तु इस कार्य में उन्हें भाषणों में संयमित भाषा का प्रयोग करना चाहिए । अभी हाल में बिहार के किशनगंज में अपने प्रत्याशी के प्रचार में श्री लालू प्रसाद ने श्री वरुण गाँधी के पीलीभीत में पिछले बयान के लिए अल्पसंख्यक समुदाय के समक्ष कहा कि "यदि वह देश के गृह मंत्री होते तो वरुण गाँधी पर रोड रोलर चलवा देते" , श्री यादव जैसे वरिष्ठ नेता से इतने घटिया बयान कि अपेक्षा सभ्य समाज को स्वीकार नही होगी । प्रतद्वंदिता के साथ नेताओं को याद रखना चाहिए कि युद्ध के भी नियम होते हैं, उन्हें प्रतिपक्षी पर कमर के नीचे वार नही करना चाहिए । लोकतंत्र में संयम आवश्यक है ,जनता को नेताओं की इस तरह की बयानबाजी का विरोध करना चाहिए ,लोकतंत्र के चतुर्थ स्तम्भ मीडिया को भी नेता के घटिया भाषण को अपने समाचार पत्रों में प्रमुखता नही देनी चाहिए,आज इलेक्ट्रोनिक मीडिया का बहुत ज्यादा महत्त्व होगया है ,उन्हें भी ऐसे नेता के निम्नकोटि के बयान को अपने चैनलों पर प्रमुखता प्रदान नही करनी चाहिए ,क्योकि लोकतंत्र में उनका बहुत बड़ा योगदान होता है,उन्हें अपने समाचार पत्र प्रसार बढाने या चैनल के टी० आर० पी० बढाने के बजाय इस महा पर्व में अपने दायित्वों का सही तरीके से निर्वहन करना चाहिए ।
ऊपर मैंने उदहारण के तौर पर श्री यादव के बयान का उल्लेख कर दिया है,जबकि बहुत से और नेता अन्य पार्टियों के भी हैं जो इसी तरह के घटिया बयान देने के आदी है ,उन्हें भी भविष्य में अपने बयानबाजी के स्तर में सुधर लाये । आज के सभी समाचार पत्रों में श्री यादव का बयान बहुत प्रमुखता से प्रकाशित हुआ है ,इसी तरह सभी टी० वी० चैनलों पर पर इस बयान को प्रमुखता के साथ दिखाया गया है , यह नेताओं के निम्न स्तर को दर्शाता है ,राजनीती मसखरापन की जगह नही और न ही किसी नयी फ़िल्म के पहले दिन के प्रदर्शन की तरह से नही है ,मिडिया को भी अपने सामाजिक दायित्वों का पालन करना चाहिए ,यहाँ मैं आज की और घटना का उल्लेख करना चाहूँगा ,यह घटना दिल्ली में गृहमंत्री श्री चिदंबरम के प्रेस कांफ्रेंस के समय किसी पत्रकार द्वारा उन पर जूता चलाने की घटना हुई जिसकी सभी को आलोचना करनी चाहिए ।

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