इधर अन्तिम चरण के मतदान के पहले कांग्रेस पार्टी के महासचिव श्री राहुल गाँधी ने दिल्ली में पत्रकार सम्मलेन में चुनाव के बाद सरकार बनने की कवायद शुरू करते हुए अपने गठबंधन के साझीदारों को छोड़ते हुए जनतादल(यूं०),अन्ना डी०एम० के० तथा लेफ्ट पार्टियों को जोड़ने की बात कहकर राजनीतिक फिजा को गरम कर दिया तो दूसरी तरफ़ कल लुधियाना में एन०डी०ए० की विशाल रैली में टी०आर०एस० के नेता श्री चन्द्रशेखर राव ने शामिल होकर अपने आप को तीसरे मोर्चे से अलग करते हुए एन० डी०ऐ ० में सम्मिलित होने की घोषणा कर डाली। इस समय अख़बारों,न्यूज चैनलों पर १६ तारिख को होने वाली मत गणना पर कयास लगाने का काम चलने लगा ,ऐसा लगता है की निर्वाचन आयोग ने अब आचार संहिता हटा ली है जिसके कारण हर चैनल पर कोई न कोई पैनल सीटों की गणना कर रहा है और उनके द्वारा कराये सर्वे का जिक्र कर रहा है जिसे चुनाव के पहले आयोग ने रोक लगाने की बात कही थी। कल "टाइम्स नाउ" चैनल पर एक चर्चा श्री अर्नब गोस्वामी द्वारा प्रस्तुत की गई थी जिसमे चर्चा के लिए जिन आंकडों को आधार बना कर चर्चा चल रही थी वह आंकडा टाइम्स आफ इंडिया द्वारा तीन- चार दिन पहले अखबार में छापा गया था । इससे सहज ही यह अनुमान लगाया जा सकता है की चुनाव आयोग के निर्देशों का या तो उल्लंघन इन मीडिया वालों द्वारा किया जा रहा है या फिर श्री नवीन चावला के मुख्य चुनाव आयुक्त बनने के बाद आचार संहिता शिथिल कर दिया गया है और केवल सरकार के चहेतों के काम अंजाम दिए जारहे है ,जैसा की आपने देखा की बिहार में दस दिन चुनाव हो जाने के बाद केन्द्रीय चुनाव आयोग ने जांच कराने का काम किया। जो चुनाव आयोग के बदले रुख का परिचायक है। मेरी राय में मीडिया द्वारा अनुमान लगना कोई अनुचित कार्य नही है किंतु इससे जनमत प्रभावित भी नहीं होना चाहिए । अब चर्चा चल ही रही है तो मैं अपना अनुमान भी यहाँ व्यक्त करना उचित समझता हूँ । मेरी गणना के अनुसार कांग्रेस और उनके गठबंधन के पास १९७ और भारतीय जनता पार्टी और गठबंधन के पास २०१ सीट तीसरे मोर्चे को ११५ तथा श्री मुलायम सिंह यादव ,लालू यादव और श्री राम विलास पासवान के चौथे मोर्चे को ३०- ३१ सीटें मिलना संभावित प्रतीत होता है ,किंतु ऐसी दशा में किसी दल या गठबंधन को बहुमत पाने की दूर दूर तक कोई सम्भावना नही है ,निश्चित तौर पर चुनाव परिणाम के बाद कौन सा दल किस गठबंधन में जाएगा यह अभी कहना कठिन है,वैसे मैंने अपने पूर्व के पोस्ट में दोनों शीर्ष दलों के राष्ट्र हित में गठबंधन का सुझाव दिया था जो अत्यंत कठिन है क्यों की राजनीतिक दल सन्यासियों का नहीं होता जो पार्टी स्वार्थ से हटकर राष्ट्रहित में प्रस्तावित गठबंधन कर देश में संभावित सुधारों को लागू महज करने और देश में लोकतंत्र को और अधिक दृढ़ बनने हेतु एक छतरी के नीचे आ जायें । यदि ऐसा होता तो बहुत अच्छी बात होगी ।
Monday, May 11, 2009
चौथे चरण के मतदान के बाद सरकार बनाने के जुगाड़ पर मशक्कत
ईश्वर की असीम अनुकम्पा के परिणाम स्वरुप चौथे चरण के मतदान में पिछले तीनों चरणों की तुलना में अधिक मतदान हुआ ,जिसमे पश्चिम बंगाल,पंजाब और हरियाणा की जनता का योगदान दिखाई देता है ,अन्यथा उत्तर प्रदेश,बिहार की जनता ने तो पिछले चरणों के अनुरूप ही कम मतदान में भाग लिया। अब केवल अन्तिम चरण का मतदान १३ अप्रैल को तमिलनाडु,उत्तराँचल,उत्तर प्रदेश,और हिमांचलप्रदेश में होना है, इनमें तमिलनाडु की सभी सीटों पर मतदान होना बहुत महत्वपूर्ण है,पिछले चुनावों में तमिलनाडु ने पूरी तरह यू०पी०ऐ० का साथ दिया था किंतु इस चुनाव में तमिलनाडु में चुनावी मुद्दा श्रीलंका में तमिल वासियों के साथ श्रीलंका की सेना द्वारा तथा कथित अत्याचार है,श्रीलंका में लिट्टे के प्रभाकरन के विरुद्ध कार्यवाही के कारण तमिलों की बड़ी संख्या में मारे जाने के बाद तमिलनाडु में जनमत श्रीलंका के सिंघलीयों के विरुद्ध बन गया है,सुश्री जयललिता ने श्रीलंका में तमिल ईलम की मांग की है जिसके पक्ष में जनमत बनता दिखाई दे रहा है। अब देखना यह है की श्रीलंका का मसला तमिलनाडु के चुनाव को कितना प्रभावित करता है।
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