Saturday, March 28, 2009

भारतीय लोकतंत्र के परीक्षा की घड़ी-02

मैंने सभी सच्चे नागरिको को सपथ दिलाया था की प्रत्येक नागरिक को राष्ट्रीयता की भावना से अपने अमूल्य मताधिकार का बड़ी निष्ठां से प्रयोग करना है। इस कम में उसे समग्र देश की परिस्थितियों का पूरी तरह से आकलन करना होगा,इसके लिए उन्हें देश के समक्ष आज कौन कौन सी समस्याएं है सबसे पहले यह जान लेना होगा,जिनका मैं निम्नवत उल्लेख करने का प्रयत्न कर रहा हूँ :-
१-राष्ट्रीय सुरक्षा :- आज देश के समक्ष यह सबसे बड़ा प्रश्न सुरक्षा का है,जिस प्रकार से आए दिन आतंकवादी गतिविधियाँ देश में बढ़ी है उसका समाधान करना बहुत आवश्यक हो गया है,कश्मीर से कन्या कुमारी तथा अटक से कटक या पंजाब से नागालैंड और आसाम तक कभी पाकिस्तान और कभी बंगलादेश की तरफ़ से आतंकवादी गतिविधियाँ चलाई जा रही है या यू कहे पाकिस्तान और अल कायदा,/ लश्कर और आई०यस० आई० जैसी एजेंसियां जेहाद के नाम पर देश के अल्पसंख्यक समुदाय जिस तरह से गुमराह किया गया हैं। उसके लिए यह जरूरी हो गया है कि अब इसका समाधान अनिवार्य है,हमें ऐसी राजनितिक जमात ढूढ़नी होगी जो राष्ट्रिय सुरक्षा के मसले पर संजीदा हो। विगत में मुंबई पर आतंकी कार्यवाही से हमको सीखना होगा। जिस प्रकार से तात्कालिक गृह मंत्री और एक अन्य मंत्री द्वारा अपने विचार संसद और संसद के बाहर कहा गया था ,वह एक अत्यंत शर्मनाक बात थी, जिसपर सरकार की बहुत किरकिरी हुई परन्तु परिणाम देश को भुगतना पड़ा ,इस विषय पर चुनाव में मतदान के पूर्व यह विचार करना जरूरी होगा। हालाकि २००४ के पूर्व की सरकार अथवा सत्तासीन लोगों ने वायुयान अपहरण में १०० से अधिक यात्रियों की सुरक्षा के नाम पर जिन खूंखार आतंकवादियों को छोड़ने का अपराध किया जाना आज लोगों द्वारा बताया जाता है, किंतु उस समय जब बंधको के परिवार के लोगों ने जिस तरह प्रदर्शन किया था,उसे देखते हुए उस समय की सरकार का निर्णय मेरी दृष्टि उचित था,मेरा यह स्पष्ट मत है की एक राष्ट्र के लिए अपने आम नागरिको को छुडाना सबसे जरूरी दायित्व होता है, आप जानते हैं की मुंबई घटना के समय मारे गए अमरीकी नागरिको के मामले की जांच अमरीकी सरकार द्वारा अपनी Agency द्वारा कराने की कार्यवाही के साथ ही घटना के जिम्मेदार व्यक्ति पर अमरीकी अदालत में मुकदमा दर्ज कर कारगुजारी की जायेगी। उस नजरिये से आप देखे तो तल्कालीन सरकार का यात्री बंधको छुडाना मैं देश हित में लिया गया निर्णय मानता हूँ, जिस पर आए दिन वर्तमान शासकीय दल द्वारा राजनितिक बयानबाजी अक्सर की जाती है जो मेरी राय यह उचित नही है। हमने देखा विगत कई वर्षों से देश के विभिन्न राज्यों में आतंकवादी कार्यवाही की जाती रही है जिसमे देश की राजधानी के साथ कई राज्यों की राजधानियां भी इन घटनाओं की चपेट में थी,पर सरकार का ध्यान इस तरफ़ जितना होना चाहिए था उतना नही दृष्टिगोचर हुआ,सरकार के खुफिया तंत्र का तो और बुरा हाल था।
आज हमको इन विन्दुओ पर गंभीरता से पहले चिंतन करना होगा की कौन सा दल या गठबंधन इस बात पर अपनी इक्छा शक्ति दिखता है। आगे देश की दूसरी ज्वलंत आवश्यकता पर अगले पोस्ट की प्रतीक्षा करें।

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