Tuesday, May 19, 2015

स्वतंत्रता के बाद देश के इतिहास का पुनर्लेखन अनिवार्य था

आज देश के युवकों और विद्यार्थियों के समक्ष के नई प्रकार की समस्या आरही है।आज क्या मेरे युवा कल में भी इसी प्रकार की समस्या हम लोगों के समक्ष थी।इस बात को मैं एक उदाहरण से बताना चाहता हूँ कि बचपन से यह पढ़ाया गया की मुगल शासक अकबर महान था।उसी के साथ साथ महाराणा प्रताप की गौरव गाथा भी पढ़ाया गया।हल्दी घाटी के युद्ध में महाराणा प्रताप की शूर वीरता का उल्लेख बताया गया।चुकी महाराणा प्रताप ने हल्दी घाटी युद्ध अकबर महान की सेना की विरुद्ध लड़ा था।इसलिये प्रश्न यह उठता है की दोनों चीजे एक दूसरे के विपरीत हैं।अकबर को महान बनाने के पीछे तर्क है की समुद्रगुप्त के बाद किसी भी एक बादशाह के नियंत्रण में भारत का उतना बड़ा भू भाग नहीं था जितना अकबर के नियंत्रण में। था।एक प्रकार से एक केंद्रीय शासन में देश था।अन्य कारणों में उसका अन्य मुसलमान शासकों की तुलना में उलेमा और मौलवियों को किनारे कर रखा था,साथ ही उसने हिंदुओं को जजिया से मुक्त कर रखा था।धार्मिक सहिष्णुता की नीति उसने अपनाया था।उसके दरबार में हिन्दू राजाओं को भी बराबर की मनसब देकर मनसबदार बनाया।तथा कथित राजा भारमल की कन्या से उसने विवाह कर राजपूत राजाओं का भरोसा जीतने का यत्न किया।इस तरह उसे महान कहा गया।किन्तु वहीं महाराणा प्रताप और हल्दी घाटी के युद्ध को प्रथम स्वतंत्रता युद्ध का दर्ज़ा दिया गया।मुझे स्मरण है आपातकाल के दौरान प्रधान मंत्री इदिरा गांधी ने हल्दी घाटी के युद्ध की 400वीं वर्षगांठ को बहुत धूम से मनाया था।जिससे यह तथ भी बिरोधाभास पैदा करता है की अकबर के बारे में जो सोच है वः सही नहीं है।अकबर के काल का इतिहास हमे उनके दरबारी लेखकों और आईने अकबरी जैसी किताब के आधार पर आरम्भिक रूप से पाया जाता है।बाद में अंग्रेजों के शासन कॉल में लिखा इतिहास एक खास इरादे के तहत लिखा गया था।उनका मकसद लार्ड मैकाले के बताये निर्देशों के अनुरूप शासित हिन्दुस्तानियों गुलाम बनाये रखने के दृष्टीकोण से उनके इतिहास को घटिया बताने के लिये लिखा गया।हाँ कुछ एक इतिहासकार जैसे कर्नल टाड ने काफी कुछ शोध कर राजपूतों का इतिहास लिखा गया जिसमे आंशिक रूप से सत्यता पायी जाती है।इसलिये सही मायनों में सत्य और वास्तविकता से देश की पीढ़ी को अवगत कराने की दृष्टी से इतिहास का पनरलेखन होना चाहिए।आज़ादी के बाद इतिहास को तोड़ मरोड़ कर प्रस्तुत करने का काम वामपंथी विचार धारा के इतिहासकारों ने किया।जिन्हें राष्ट्रीयता के विपरीत पाश्चात्य चिंतन का ज्यादा महत्व रहा है।इन लोगों के कुकृत्यों को भी उजागर करना होगा।

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