Monday, May 18, 2015

प्रधान मंत्री मोदी की चीन यात्रा

प्रधान मंत्री मोदी चीन यात्रा पर हैं,वो दोनों देशों के मध्य सहयोग बढ़ाने का प्रयत्न कर रहें हैं जिसका प्रारम्भ उनके पहले राजीव गांधी,अटल बिहारी वाजपेयी और डा0मनमोहन सिंह ने भी किया जो राष्ट्रीय विकास और सुरक्षा के लिये अनिवार्य है क्यों कि चीन एशिया महाद्वीप की सबसे बड़ी शक्ति है।जिसने आर्थिक विकास के पूर्व अपनी सामरिक क्षमता बढ़ाने और परमाणु शक्ति अर्जित करने के बाद किया।सामरिक क्षमता बढ़ाने के बाद ही आर्थिक विकास का मार्ग प्रशस्त होता है।अटल जी के शासन काल में भारत भी परमाणु शक्ति सम्पन्न देश हो चूका है।विगत वर्षों में भारत ने अन्तर महाद्वीप बैलिस्टिक मिसाइल के क्षेत्र में भी वांछित प्रगति हासिल करने में सफल रहा है।ऐसे में आर्थिक विकास करने के लिये हमे चीन का अनुकरण करना चाहिये।चीन ने 30 वर्ष पहले शहरीकरण की प्रक्रिया शुरू किया था।आज उनके शहर दुनिया में अपनी पहचान बनाने में सफल हुए हैं।चीन के विकास की गति भारत के लिये अनुकरणीय है।यदि हमलोग पुरानी बातों पर ही रुके रहे तो हम उनसे प्रतियोगिता नहीं कर पाएंगे।इसलिये वो लोग आज भी 62 के चीनी आक्रमण से आहत हैं उनसे मेरा कहना है कि चीन से पराजय के दोषी हमारा तात्कालिक नेतृत्व जिम्मेदार था।सोचिये यदि चीन ने आक्रमण न किया होता तो हम 1965 में पाकिस्तान से युद्ध न जीत पाये होते।आप सब की जानकारी के लिये बताऊ की भारत 1947 में आज़ाद हुआ उसी तरह 1949 में नवीन चीन अस्तित्व में आया।देखते देखते उसने अपनी सामरिक और आर्थिक सम्पन्नता हासिल करने में सफल हुआ।1962 की पराजय में भारत के बड़े भू भाग को युद्ध से नही जीत जा सकता।होशियारी और नीति यही कहती है कि धैर्य से चीन के साथ सम्बन्धों को सुधारते हुए विकास हेतु सहयोग लेना होगा।

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