Saturday, November 28, 2009

क्या हम २६/११ से कुछ सबक लेंगे

इस वर्ष २६/११ /२००८ की घटना के पूरे एक वर्ष होने पर क्या देश ने कुछ सबक लिया या नहीं इस विषय पर मैं आज आप से चर्चा करना चाहता हूँ या यूँ कहिये की बात कहना चाहता हूँ । हमने घटना की बरसी के दिन मोमबत्तियां जलाकर शहीदों को श्रद्धांजलि दी परन्तु क्या देश हम किसी भी प्रकार की उसी तरह की भविष्य में होने वाली घटना का मुकाबला करने को तैयार हैं ,इस बात की परख करनी होगी,इस प्रकार की किसी तैयारी में देश की सरकार की इच्छा शक्ति का दृढ़ होना और उसकी जानकारी देना सरकार का दायित्व हैं । यदि हम विगत पूरे वर्ष सरकार के द्वारा किए गए प्रयासों को देखें तो हम पाएंगे की सामान्यतया ऐसे मौकों पर केन्द्र सरकार द्वारा राज्यों को जिम्मेदार ठहराकर अपना दमन साफ़ कर लेती है परन्तु पूरे वर्ष भारत सरकार ने पाकिस्तान सरकार से मुंबई हमले में शामिल पाकिस्तानी एजेंसियों के ऊपर कार्यवाही की दरखास्त करता रहा और पाकिस्तान की सरकार ने कभी अजहर मसूद और कभी सईद आतंकवाद में शामिल मानते हुए गिरफ्तार किया और बाद में पाकिस्तान की न्यायपालिका ने इन्हे बिना सबूत के इनकी गिरफ़्तारी /नज़रबंदी को गैर कानूनी ठहराते हुए इन खूंखार आतंकवादियों को आज़ाद कर दिया गया । इन सबसे यह साबित होता है की अंतर्राष्ट्रीय आतंकवादियों से निपटने में देश की सरकार नाकामयाब सिद्ध हुई । शायद बहुत कठोर कार्यवाही करने की इच्छा शक्ति की कमी इसका कारण है.बार बार सरकार पड़ोसी देश में पाले और पोसे जा रहे आतंकवाद के ठेकेदारों को रोकने में असफल रही है .यहाँ यह बताना उचित होगा की पाकिस्तान में शासन करने वालों में भी इतना बल नहीं है जो इन सबको रोक सके। भारत सरकार ने परमाणु समझौता अमेरिका से किया जिसके आधार पर भी वह पाकिस्तान पर दबाव बना पाने में सफल हो सका जो निश्चित रूप से सरकार की इच्छा शक्ति पर प्रश्न चिन्ह लगता है।
अब यहाँ घरेलू मोर्चे पर देखे तो हम पाते हैं की जिस मुंबई में इतनी बड़ी त्रासदी हुई उसी मुंबई में घटना के बाद मनसे के लोगों ने उत्तर भारतीयों के विरुद्ध मोर्चा खोला और उनकी इस कार्यवाही पर महाराष्ट की सरकार ने कोई ठोस कार्यवाही नहीं किया जिससे मुंबई में रहने वाले समस्त भारतवासी को यह विश्वास दिला सकने में असमर्थ रही। उल्लेखनीय यह है की महाराष्ट्र में कांग्रेस की सरकार है ।
दूसरी तरफ़ देश में सांप्रदायिक सद्भाव बढ़ाने की जगह भारत सरकार ने सत्रह साल की कवायद के बाद लिब्राहम आयोग की रिपोर्ट जरी कर अपने राजनीतिक दुश्मनों को मात देने का प्रयास जितनी दृढ़ता से किया उतना प्रधान मंत्री महोदय के आतंकवाद से लड़ने की कोशिश में दम नहीं दिखा रहे हैं।

2 comments:

  1. saheedo ki chitao par lagenge har bars mele, watan pe marne walo ka yahi aakhiri nishan hoga

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  2. 100 % agree vishnu g

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