वर्तमान लोकसभा में विपक्ष देश की प्रगति में बाधक:-
1952 में पहली लोकसभा के बाद से अबतक 2014 के वर्तमान लोकसभा के इतिहास का पनरावलोकन करने पर हम पाते हैं कि वर्तमान लोकसभा के पूर्व तक की लोकसभा में विपक्ष के नेताओं में आचार्य कृपलानी,डा0राम मनोहर लोहिया,आचार्य नरेंद्र देव,श्रीपाद अमृत डांगे,अटल बिहारी वाजपेयी,मधु लिमये,लाल कृष्ण अडवाणी जैसे गम्भीर नेता थे।जिन्होंने देश की संसद पर अपनी योग्यता और विद्वत्ता की छाप छोड़ी।किन्तु आज जिस प्रकार का नेतृत्व विपक्ष में बैठा है उसकी योग्यता के विषय में कुछ कहने की आवश्यकता नहीं है परन्तु उसके साथ जिस भाषा का प्रयोग किया जा रहा है वह आपत्तिजनक भी है।आज विपक्ष में कांग्रेस पार्टी के राहुल गांधी,मल्लिकार्जुन खड़गे,सोनिया गांधी और सपा के नेता मुलायम सिंह यादव हैं इनमे से कोई भी ऐसा नेता नहीं जो पुरानी नेताओं के इर्द गिर्द भी नही है।जिसके कारण सत्ता पक्ष के ऊपर एक अतिरिक्त दायित्व है।विपक्ष हताशा से बाहर न आकर अनर्गल तरीके से विकास की गति को बाधित कर रहा है।जो जनहित में नहीं है।
1952 में पहली लोकसभा के बाद से अबतक 2014 के वर्तमान लोकसभा के इतिहास का पनरावलोकन करने पर हम पाते हैं कि वर्तमान लोकसभा के पूर्व तक की लोकसभा में विपक्ष के नेताओं में आचार्य कृपलानी,डा0राम मनोहर लोहिया,आचार्य नरेंद्र देव,श्रीपाद अमृत डांगे,अटल बिहारी वाजपेयी,मधु लिमये,लाल कृष्ण अडवाणी जैसे गम्भीर नेता थे।जिन्होंने देश की संसद पर अपनी योग्यता और विद्वत्ता की छाप छोड़ी।किन्तु आज जिस प्रकार का नेतृत्व विपक्ष में बैठा है उसकी योग्यता के विषय में कुछ कहने की आवश्यकता नहीं है परन्तु उसके साथ जिस भाषा का प्रयोग किया जा रहा है वह आपत्तिजनक भी है।आज विपक्ष में कांग्रेस पार्टी के राहुल गांधी,मल्लिकार्जुन खड़गे,सोनिया गांधी और सपा के नेता मुलायम सिंह यादव हैं इनमे से कोई भी ऐसा नेता नहीं जो पुरानी नेताओं के इर्द गिर्द भी नही है।जिसके कारण सत्ता पक्ष के ऊपर एक अतिरिक्त दायित्व है।विपक्ष हताशा से बाहर न आकर अनर्गल तरीके से विकास की गति को बाधित कर रहा है।जो जनहित में नहीं है।
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