अप्रैल माह में बेमौसम बरसात के कारण बिजली संकट होने के बाद भी भीषण गर्मी की अनुभूति नही हुई।किन्तु मई के आरम्भ से ही बिजली और पानी का घोर संकट प्रारम्भ हो गया।हालात इतने खराब हो चुके हैं कि प्रदेश की राजधानी के अधिकांश भागों में बिजली का संकट है।साथ ही लखनऊ की जनता बूँद बूँद पानी के लिये तरस रही है।राजधानी की दशा देखने के बाद प्रदेश के अन्य जिलों में बिजली पानी के अति भयंकर स्थिति का आकलन किया जा सकता है।शायद ये समस्या मैनपूरी,कन्नौज,एटा...,इटावा आदि में सम्भवतः यह स्थिति न हो क्यों की ये जिले सत्ताधारी दल के लिये राजधानी से बेहतर स्थिति में हैं।यहां यह बात ज्यादा महत्वपूर्ण बात हसि कि समाचार पत्रों के अतिरिक्त इलेक्ट्रॉनिक मीडिया टीवी के किसी चैनल ने देश के सबसे बड़े राज्य की इस दुर्दशा का उल्लेख तक नहीं किया।प्रदेश का आम नागरिक के लिये हर गर्मी के मौसम में यही दशा होती है।किन्तु इस वर्ष तो सरकार ने स्वयम् घोषणा क्र दिया था उनके सभी चुनावी वादे पुरे किये जा चुके हैं।तो इससे यह समझ में आता है उसकी नज़र में पानी बिजली का संकट कोई मायने नहीं रखता।
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