चीन आज विश्व के पाँच महा शक्तियों में सिर्फ़ एक न होकर विश्व की सबसे बड़ी जनसंख्या वाले एशिया महाद्वीप के राष्टों के लिए चुनौती बन कर सामने आया है ,एक तरफ़ उसकी सामरिक मह्त्वाकांछा दूसरी तरफ़ आर्थिक महाशक्ति बंनने की है ,चीनी नेतृत्त्व इन दोनों को शीघ्रातिशीघ्र पाने के लिए प्रयत्न शील हैं ,उनके इस कार्य में आने वाले सभी देश चाहे अमेरिका हो रूस हो अथवा भारत या जापान सभी की रणनीति को विफल करने का उनके द्वारा चतुर्दिक प्रयास बहुत प्रयत्न के साथ किया जा रहा है,चीन के इस प्रयास में जो भी देश अडंगा लगाने का प्रयास करेगा उससे वह पूरी तरह से निपट लेने के लिए तैयारी कर रहा है । इसी योजना के अंतर्गत उसने भारत के अरुणांचल राज्य स्थित तवांग को चीन का भाग घोषित करते हुए भारत सरकार से अपना विरोध दर्ज किया ,दूसरी तरफ़ पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर के हिस्से में पाकिस्तान के साथ मिलकर कई विकास योजना में सहयोग कर रहा है जिससे भविष्य में वह भारत को घेरने का प्रयास कर सके। उधर सूदूर पूर्व में वह जापान के आर्थिक आधिपत्य को तोड़ने का प्रयास कर रहा है,जापान को रोकने का तात्पर्य अमरीका की आर्थिक दशा को प्रभावित करना है। चीन द्वारा रूस के राजनीतिक और सामरिक प्रभाव कम करने के लिए मध्य एशिया के देशों पर भी लगातार दबाव बना रहा है ।
चीन की सभी नीतियों पर भारत को कड़ी और पैनी दृष्टि सदैव बनाये रखते हुए सतर्कता की आवश्यकता है।
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