Monday, June 8, 2015

आखिर इलेक्ट्रॉनिक मीडिया को प्रधान मंत्री के मुस्लिम उलेमाओं से मिलने पर आपत्ति क्या

पी एम् नरेंद्र मोदी द्वारा विगत दिन देश में साम्प्रदायिक सौहार्द बनाने के लिये मुसलमान उलेमाओं से मिलने को आमन्त्रित किया जिसमे बड़ी संख्या में मस्जिदों के इमाम और अन्य धर्म गुरु उनसे मिले।इस घटना से सभी टीवी चैनल ndtv,आजतक और ए बी पी न्यूज़ के दिलों में अचानक दर्द उठने लगा की कहीं नरेंद्र मोदी के पक्ष में मुसलमान न होजाये।इसलिये तुरत ही इन चैनलों पर गोष्ठी प्रारम्भ हो गया की कैसे मोदी जी की इस मुहीम की हवा निकाल दी जाय।उनकी इस मुहीम में उनके साथ एक इतिहासकार इरफ़ान हबीब जैसे वामपंथी,ओवैसी और मुलायम वादी इस्लामी नेताओं ने मोदी जी की नियत पर शक कर देश के मुसलमानो को गुमराह करने का प्रयास करना शुरू कर दिया।इन गोष्ठियों में इन चैनलों के एंकर का योगदान भी मुलायमवादी और वामपंथी तथा ओवैसी को भरपूर दिया जा रहा था।वार्ता में ओवैसी और चैनल पर आमन्त्रित वक्ताओं ने उलेमाओं को मुसलमान सम्पर्दाय का प्रतिनिधि न होने की बात कहा जो सर्वथा अनुचित है।सल्तनत काल और मुग़ल साम्राज्य के शासन काल में सुल्तानों और बादशाहों ने उलेमाओं को ही इस्लाम का प्रतिनधि माना और उनकी सलाह पर ही निर्णय लिये जाते रहे।कुछ सुल्तानों के शासन को इतिहासकारों ने उलेमाओं का शासन कहा गया।किन्तु अब ये वार्ताकार और चैनल के एंकर इसके विपरीत उन्हें मुस्लिम समुदाय का प्रतिनिधि मानने के तैयार नहीं हैं।
ऐसी हालत में देश के सामान्य अल्पसंख्यक मुसलमानों को इन चैनलों और राष्ट्र द्रोही नेताओं से सावधान रहने की जरूरत है।

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