Monday, June 1, 2015

कांग्रेस कब तक झूठ बोलेगी

आजकल कांग्रेस पार्टी के बड़े छोटे नेताओं ने झूठ बोलने की आपसी प्रतिस्पर्धा शुरू कर दिया है।इस प्रतिस्पर्धा में शालीनता और मूल्यों को तिलांजलि दे दिया है।आश्चर्य तो इस बात का है की जिस पार्टी ने आज़ादी के पहले से सत्ता सुख का आनन्द ले रही थी।जिसकी तीन पीढियां 55 वर्ष तक सत्ता का भोग करती रही।किन्तु एक वर्ष पूर्व हुए आम निर्वाचन में 50 का आंकड़ा भी न पार करने का इतना बड़ा सदमा लगा है की सबने मानसिक सन्तुलन पूरी तरह खो दिया है।यह सन्तुलन इतना बिगड़ गया है की सत्य के बारे में भी अनर्गल प्रलाप किया जा रहा है।1947 से 2014 तक जितनी किसानों की जमीन की लूट इन्ही कांग्रेसियों ने किया।धीरूभाई अम्बानी की हैसियत इन्ही के कार्यकाल में बढ़ी।मोदी जी के भूमि अधिग्रहण बिल में पहली बार भूमि अधिग्रहण केवल और सिर्फ केंद्र एवं राज्य सरकारों की विकास परियोजना के क्रियान्वयन के लिये किया जाने की व्यवस्था है परन्तु इनकी पार्टी के अभूतपूर्व ज्ञानी नेता को बार बार यह स्वप्न दिखाई देता है जैसे इनके दस वर्षों के शासन में हरियाणा,राजस्थान और हिमाचल में इनके बहनोई को कौड़ियों के मोल जमीन आंवटित कर दिया गया उसी तरह इन्हें दुः स्वप्न आता रहता है।
मई 2014 के बाद इनकी जबान पर ताले लग गए थे।किन्तु 56 दिनों के विदेश प्रवास में में इन्होंने कुछ ऐसा ज्ञान प्राप्त किया कि ये तो बदजबां हो गए।बद्तमीज तो यर पहले से ही थे जो अपनी ही सरकार के एक विधेयक की प्रति लोक सभा में फाड़ चुके हैं।तमीज़ की उम्मीद तो इनसे कतई नहीं की जा सकती किन्तु कम से कम झूठ बोलने से तो तौबा करें।

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