Monday, June 1, 2015

टी0वी0 चैनलों का भ्रामक प्रचार

आज टीवी चैनलों एक समाचार चल रहा है कि मुम्बई में एक मुस्लिम महिला को सांघवी हाइट्स के सुपरवाइजर द्वारा मकान किराये पर देने से मना करने का आरोप लगाते दिखाया जा रहा है।साथ ही इस समाचार पर प्रदेश और केंद्र सरकार के विरुद्ध राजनीति भी शुरू हो गया है।इसके पहले एक मुस्लिम युवक द्वारा किसी कम्पनी पर मुस्लिम होने के कारण नौकरी पर न रखने का आरोप लगाया था। ये दोनों
मसला एक गम्भीर मामला है।जो सम्विधान के समानता के अधिकार के विरुद्ध है।किन्तु यदि इस विषय पर गम्भीरता से विचार करे तो हम पाएंगे की जब सम्विधान के अंतर्गत समान नागरिक संहिता नही है तब किस तरह से किसी अन्य संप्रदाय के व्यक्ति को उसकी व्यक्तिगत कम्पनी अथवा प्रॉपर्टी के लिये सेवा में रखने अथवा किराये पर रखने के अधिकार को कैसे चुनौती दिया जा सकता है।इस के समर्थन में मैं एक उदाहरण मेसर्स हमदर्द इंडिया का देना चाहूँगा जो एक मुस्लिम ट्रस्ट द्वारा संचालित कम्पनी है जो दिल्ली में स्थित है तथा इसकी एक शाखा पाकिस्तान में भी है।इस कम्पनी में केवल मुस्लिम कर्मचारी एवं अधिकारी काम करते हैं जो संयोग वश नहीं अपितु अनिवार्य रूप से है।इसी तरह अलीगढ मुस्लिम यूनिवर्सिटी का वी0सी0 केवल मुस्लिम हो सकता है।इसी तरह देश भर में बहुत से ऐसी शिक्षण संस्थाएं है जिनको सरकार द्वारा अल्पसंख्यक घोषित किया गया है जिसमे प्रवेश का आधार योग्यता न होकर अल्प सन्ख्यक समुदाय का होना काफी होता है।ये सारी संस्थाएं सम्विधान के अंतर्गत हैं।
उपर्युक्त परिस्थितियों में मुम्बई की घटना पर कैसे रोक लगाई जाय यह विचारणीय होगा।हाँ इस सन्दर्भ में छः सात वर्ष पूर्व सिने अभिनेता इमरान हाश्मी का बयान स्मरण है जिन्होंने मुम्बई के बिल्र्डर्स पर उन्हें अल्पसंख्यक समुदाय का होने के कारण भवन बेचने से मना करने का आरोप लगाया था।इससे स्पष्ट है कि इस प्रकार की घटना कांग्रेस शासित महाराष्ट्र राज्य में भी था तब क्यों उस बिल्डर पर कार्यवाही नही किया गया।तब शहज़ाद पूनावाला कहाँ थे।
इसी तरह आज़ादी के बाद से अबतक कांग्रेस की सरकार थी तब समान नागरिक संघिता क्यों लागू नही किया गया।क्या यह एकांगी चिंतन नही है?ये तो वही बात हुई मैं करू तो....कैरेक्टर .....।

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